Fundamental Duties

हम जब भी भारतीय संविधान की बात करते है तो हम सबसे पहले अपने मूल अधिकार ( fundamental rights ) के बारे में बात करते है मगर बोहत ही काम लोग ऐसे होंगे जिन्हे मूल कर्त्तव्य ( fundamental duties ) के बारे में पता भी हो या वो जान के अनजान रहते है | नागरिको के अधिकार और कर्त्तव्य आपस में सम्बंधित और अविभाज्य है लेकिन हमारे मूल संविधान में मूल अधिकारों को रखा गया था ना की मूल कर्त्तव्य को | 


भारतीय संविधान में मूल कर्त्तव्य को पूर्व रूसी संविधान से प्रभावित हो कर लिया गया है | प्रमुख लोकतंत्र देश जैसे कनाडा , फ्रांस , जर्मनी , अमेरिका आदि के संविधान में नागरिको के कर्त्तव्य को विस्लेषित नहीं किया गया है | इसके विपरीत समाजवादी देशो ने अपने  नागरिको के मूल अधिकारों और कर्तव्यों को बराबर महत्व दिया है | 

भारत में मूल कर्त्तव्य 


कांग्रेस द्वारा  1976 में सर्दार सवर्ण सिंह समिति का गठन किया जिसे राष्ट्रय आपातकाल (1975 -1977 ) के दौरान मूल कर्त्तव्य , उनकी आवशयकता आदि के सम्बद्ध में संस्तुति देनी थी | समिति ने सिफारिश की , की सविधान में मूल कर्त्तव्य का एक अलग पाठ होना चाहिए | इसमें बताया गया की नागरिको को अधिकार के प्रयोग के अलावा अपने कर्तव्य को  निभाना भी आना चाहिए | केंद्र में सरकार ने इन सिफारिसो को अपनाते हुए 42 वे संविधन संसोधन अधिनियम को लागू किया | इसके माध्यम से एक नाये भाग  (4 क ) को जोड़ा गया इस नए भाग में केवल एक अनुच्छेद(51 क) था जिसमे पहली बार नागरिक के कर्तव्य का विशेष उल्लेख किया गया | यद्यपि सवर्ण सिंह समिति ने संविधान में सिर्फ आठ कर्तव्य जोड़े जाने का सुझाव दिया था लेकिन 42 वे संविधान संसोधन अधिनियम में 10 मूल कर्त्तव्य को जोड़ा गया बाद में 86 वे संविधान संसोधन अधिनियम  द्वारा एक और कर्त्तव्य को जोड़ा गया और कुल मिला के भारतीय संविधान में 11 मूल कर्तव्य को समाहित किया गया  | 



तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी ने संविधान में मूल कर्त्तव्य को जोड़ने को उचित ठहराते हुए यह तर्क दिया की इसमें लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी | उन्होंने कहा '' मूल कर्त्तव्य का नैतिक मूल्य अधिकारों को कम करना नहीं होना चाहिए लेकिन लोकतांत्रिक संतुलन बनाते हुए लोगो को अपने अधिकारों के सामान कर्तव्य के प्रति भी सजग रहना चाहिए | 


हम अपने अधिकारों पे तो ध्यान देते है मगर अपने कर्तव्य को भूल जाते है आप सब से बस यही निवेदन है की अपने कर्तव्यों को भी उसी तरह निभाय जैसे आप आने अधिकारों को निभाते है अपने अधिकारों पे धयान देते है | 


इस लेख को पढ़ने के लिए सुक्रिया 


गुरुदेव मंडल 








 

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